पैमाना न दरमियान रख।
मेरे ख़्यालों में उड़ान रख।
दिल से दिल का फासला न हो,
इस सलीके से गीता और कुरान रख।
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में अब मकान रख।
बस्तियां रौंद लेगी ये नदी रोकी हुई,
ज़रूरत से ज़्यादा न तू अपना विज्ञान रख।
अश्ललीलता को जो तालीम मान बैठै हैं,
उन बच्चों के ज़हन में बड़ों को सम्मान रख।
तिलमिला उठा वो मेरी इस गुज़ारिश पर,
कि मेरे होठों पर भी थोड़ी मुस्कान रख।
मेरे ख़्यालों में उड़ान रख।
दिल से दिल का फासला न हो,
इस सलीके से गीता और कुरान रख।
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में अब मकान रख।
बस्तियां रौंद लेगी ये नदी रोकी हुई,
ज़रूरत से ज़्यादा न तू अपना विज्ञान रख।
अश्ललीलता को जो तालीम मान बैठै हैं,
उन बच्चों के ज़हन में बड़ों को सम्मान रख।
तिलमिला उठा वो मेरी इस गुज़ारिश पर,
कि मेरे होठों पर भी थोड़ी मुस्कान रख।
17 टिप्पणियां:
प्रकाश जी बहुत अच्छी गजल लिखी है आपने
अच्छी रचना बधाई हो
अच्छे भाव का अच्छा शब्द-संयोजन है प्रकाश जी लेकिन चुंकि आप अपने ब्लौग की भूमिका में ही घोषणा कर देते हैं कि "मीटर में रहना अर्थ की हत्या करना लगता है"...तो फिर कुछ और कहना गज़ल की रोप-रेखा पर-बेमाने हो जाता है..
अच्छे सुंदर भावों को इतने ही सुंदर शब्दों में सजाने पर बधाई
प्रकाश जी
सुंदर ग़ज़ल है, भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है
waah! jaaree rhen!
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pahlee pankit mein sudhaar kee guinjaaiyash!
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बहोत ही खुबसूरत लिखा है आपने बेहद उम्दा ... ढेरो बधाई स्वीकारें....
अर्श
दिल से दिल का कोई फासला न हो,
कुछ इस सलीके से गीता और कुरान रख।
बहुत अच्छी गजल। बधाई
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में भी कोई मकान रख।
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .
धन्यवाद
saleeke se geeta aur kuraan kaa rakha jana ki...........!!adbhut bhaayi...!!
prakaash ji aaj to saara page dekh gaya main aapke blog kaa...bas yahi kahana hai....ham logon kee gazlon ke bhaav beshak acche hote hain...magar sach to yah hai ki wo gazal to hoti hi nahin....!!
bhootnaath bhaaee,
jo ham likhte hain use aap jo koi naam denge main rakh loonga. aap ye to maante hain ki jo ham likhte hain usme bhav to hote hain? meetar se kahin ziyada bhav bade hote hain. koi gazal kahe na kahe kyaa fark padta hai. baharhaal aapako mera likhaa achhha laga aap kaa aabhaar.
apni rachnaaon ke saath-saath aap himachal ke rachnakaaron ko bhi blog ki dunia mein la rahe hain. yeh prashansa-yogya kaarya hai. dheere dheere blog ko gambhir vimarsh ka manch banaanaa hoga. aap isi tarah sakriya bane rahen. shubhkaamnaaon sahit
दिल से दिल का कोई फासला न हो,
कुछ इस सलीके से गीता और कुरान रख।
Waah ! Bahut sahi kaha aapne.
Yatharthparak Sundar bhaav aur sundar abhivyakti.
हर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा है
बादल जी, बहुत अच्छे....वाह जी वाह. पढ़ कर मज़ा आ गया।
बहुत हुई महलों की फिक्र, छोड़ दे,
बेघरों के हिस्से में भी कोई मकान रख।
bahut khoob !!!
bahut khoob , bahut sunder bhav abhivyakti.swapn
चुपके से वो सन्नाटों में ज़हर घोल कर चले गये,
आप दे रहे हैं पहरे आवाज़ों के बीच।
" fantastic.....these lines are mind blowing.."
regards
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