शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

कुल्लू में गुरुकुल सम्मान समारोह में सम्मानित हुई विभूतियाँ,

गुरू कुल सम्मान से सम्मानित विभूतियाँ
कवि अग्निशेखर अपने विचार रखते हुए
गुरूकुल बहुमुखी शिक्षा संस्था कुल्लू द्वारा 14 अप्रैल को आयोजित सम्मान, लोकार्पण और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में अनेक कवियों ने भाग लिया और विभिन्न क्षेत्रों के लिए सात साहित्यिक विभूतियों को सम्मानित किया गया। इन विभूतियों में लोकगीतों के लिए लायक राम रफीक, कहानी लेखन के लिए हंसराज भारती, लोकप्रिय कवि के लिए तेजराम शर्मा अजेय को उनके नव प्रकाशित काव्य संग्रह “इन सपनों को कौन गाएगा”  कृष्ण चन्द महादेविया को लोक संस्कृति के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए के समानित किया गया| कुल्लू से प्रकाशित पत्रिका 'हिमतरु' के प्रकाशन के लिए कृष्ण श्रीमान को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र 'हिमाचल दस्तक' की खूब सराहना हुई। यह हिमाचल का एकमात्र ऐसा दैनिक समाचार पत्र है जिसमें 'अभिव्यक्ति' नामक पन्ने पर एक विशिष्ट साहित्यिक व्यक्तित्व पर विशेष इंटरव्यू रविवार को प्रकाशित किया जाता है। इस कार्य को लेकर समाचार पत्र के सम्पादक हेमंत कुमार 'अभिव्यक्ति' परिशिष्ट के सूत्रधार, युवा पत्रकार रजनीश को भी सम्मानित किया गया। 
मुख्य अतिथि देवेन्द्र गुप्ता साहित्यकारों को सम्बोधित करते हुए
                पुस्तकों के लोकार्पण में तेज राम शर्मा के ताज़ा काव्य संग्रह “ मोम के पिघलते बोल”, संजू पॉल की पुस्तक “स्माईल दाई सॉरोज़”, ईशिता गिरीश की ‘सबसे अच्छा बच्चा’ कृष्ण चन्द्र महादेविया की “मण्डी जनपद के लोकनाटय” सतीश रत्न का काव्य संग्रह ‘सुबह ज़रूर आएगी’, तथा राज्य वद्धन द्वारा संपादित काव्य संकलन ‘स्वर एकादश’ का लोकार्पण किया गया। इसके अतिरिक्त एक वीडियो सीडी का लोकार्पण भी इस आयोजन में किया गया। तेजराम शर्मा की पुस्तक पर  ने पर्चा पढ़ा, ईशिता की पुस्तक पर सतीश चन्द्र कौड़ा,  अजेय के काव्य संग्रह पर निरंजन देव शर्मा, मंडी जनपद के लोक नाटय पर गंगा राम राजी, सतीश रत्न के काव्य संग्रह और राज्य वर्द्धन द्वारा संपादित काव्य संग्रह  पर प्रकाश बादल ने पर्चा पढ़ा ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाषा एवम संस्कृति विभाग के निदेशक देवेन्द्र गुप्ता थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता  प्रसिद्ध कवि अग्निशेखर ने की।        
कविता पाठ करते कवि
दो सत्रों में निर्धारित किए गए इस आयोजन को एक सत्र में निपटाने की जब मंच से घोषणा हुई, तो बहुत से साहित्यिक मित्र मन मसोस कर रह गए। पता चला कि इस आयोजन को समेटने के पीछे उसी स्थान पर मुख्यमंत्री के नागरिक सम्मान के लिए चुना गया था। इसी के चलते साहित्यकारों को यह अल्तीमेटम दिया गया कि हॉल को जितना जल्दी हो सके खाली कर दिया जाए। इस तरह एक और सहित्यिक आयोजन की बलि चढ़ने ही वाली थी कि आयोजन के मुख्य संयोजक गणेश भारद्वाज ‘गनी’ के उत्साह का साथ साहित्यकारों और श्रोताओं
कवि सम्मेलन में प्रतिभागी कवि 
और उपस्थित साहित्यकारों ने नहीं छोड़ा। और खाली पेट सांय 5 बजे तक डटे रहे। इस आयोजन के पीछे गुरूकुल संस्था की कल्पना को साकार करने में जुटे गणेश भारद्वाज के प्रयास जहाँ सराहनीय थे वहीं इसकी बेहतर रूपरेखा न होने के कारण आयोजन  में अनेक खाभियां भी झलकीं, ज़ाहिर है आगामी गुरूकुल सम्मान के लिए इस आयोजन से सबक लिया जा सकेगा। विभिन्न विभूतियों को सम्मानित करने का जज़्बा लेकिन बेहद सराहनीय कदम है।
                       
स्कूली बच्चे कविता पाठ करते हुए
कवि सम्मेलन ध्यान खींचने वाला था। कवि सम्मेलन में रंग जमना तब शुरू हुआ जब यादवेन्द्र शर्मा ने अपनी कविता ‘पहाड़ी टोपी’ सुनाई। टोपी के इतिहास और राजनीतिक गलियारों में बदलते टोपी के रंग ऐसे बिखरे कि भाषा विभाग के निदेशक इस बीच कवि गोष्ठी से उठ कर ही चले गए । कवि सम्मेलन निरंतर चलता रहा और मोहन साहिल की ‘ गुच्छी’ कविता ने समां बांधा । कुल राजीव पंत की कविताएँ भी खूब जमीं । इसके अतिरिक्त तेज राम शर्मा ने भी कविता पाठकर ध्यान आकर्षित किया। अग्निशेखर को जिस तरह से सुना जाना चाहिए था सुना नहीं गया, लेकिन उन्होंने कुछ कविताएँ ज़रूर पढ़ी। इसके अतिरिक्त सतीश रत्न, निरंजनदेव,ईशिता, कृश्न चन्द महादेविया, शेर सिंग मेरुपा, सहित अनेक कवियों ने कविताएँ पढ़ीं। कुछ स्कूली बच्चों की कविताएँ भी ध्यान आकर्षित करने वाली थी। पूरे कार्यक्रम को नोट नहीं कर पाया इसके लिए क्षमा। लायक राम रफीक और अजेय सम्मान प्राप्त करने स्वयं उपस्थित नहीं हो पाए। अजेय के पिता ने अजेय का पुरस्कार प्राप्त किया और भाव पूर्ण संबोधन दिया।

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