आज अचानक एक डायरी हाथ लगी, जो उस समय की थी जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उस डायरी में कई रचनाएं मिली जिनमेंसे अधिकतर खारिज कर दी लेकिन कुछ मुझे अच्छी लगीं उनमें से एक रचना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ आपकी प्रतिक्रिया की अपेक्षा रहेगी: (प्रकाश बादल)
कटे हुए पर लिए घूमती है।
हवाएं खंजर लिए घूमती है।
जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
दरअसल है बुराई उसी की रगों में,
जो दुनिया तीन बंदर लिए घूमती है।
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
फिर धुंध ने किया पहाड़ियों का अपहरण,
झुग्गियाँ बाढ़ का डर लिए घूमती हैं।
कटे हुए पर लिए घूमती है।
हवाएं खंजर लिए घूमती है।
जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
दरअसल है बुराई उसी की रगों में,
जो दुनिया तीन बंदर लिए घूमती है।
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
फिर धुंध ने किया पहाड़ियों का अपहरण,
झुग्गियाँ बाढ़ का डर लिए घूमती हैं।
38 टिप्पणियां:
bahut hi sundar gazal likhi hai aapne ,
vah je,bahut achee rachana hai
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
bahut sunder shabd rachna. holi ki shubh kaamnaon ke saath badhai.
jitni taareef karein utni kam hai
दरअसल है बुराई उसी की रगों में,
जो दुनिया तीन बंदर लिए घूमति है.
--एक सच बात बेबाकी से. सब खेल इसी के इर्द गीर्द है भाई.
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
waah bahut achhi lagi rachana badhai
us umra ke hisab se nishchaya hi achchhi rachna hai. Badhaayi.
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
भाई बहुत
सुन्दर रचना है
bhaiya har she'r bahut hi achha h...
kisi ek ko pasand karna to mushkil h.. fir b yaha likh raha hu. meri pasand k sequence me... :))
1st आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
2nd जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
3rd दरअसल है बुराई उसी की रगों में,
जो दुनिया तीन बंदर लिए घूमती है।
janta hu mera paimaana galat hoga. muje gazal ka gyan nahi hai. par ye gustakhi kar raha hoon. aap bura mat maniyega.
मनमोहक........
ग़ज़ल वही होती है जो सीधी दिल में उतर जाए
जिसे समझने में मशक्कत करनी पड़े वह ग़ज़ल निरर्थक है। आपकी शैली बहुत पसंद है मुझे, गूढ़ चीजें इतनी सरलता से समझ आती हैं।
bahot khub umda likhe hai aapne ..tinka hoga tere liye wo ..
chidiya choch me ghar liye ghumti hai....
kamaal ka likha hai aapne..
आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से रंगीन होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं..
अर्श
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
वाह बहुत बढ़िया ...पुरानी डायरी में लिखा अक्सर बेमिसाल होता है ..बहुत खूब
रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है
बहुत खूब प्रकाश जी कमाल का शेर है...मेरी बधाई...
आपको होली की शुभ कामनाएं ...
नीरज
जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
प्रकाश जी
स्कूल में ये तेवर क्या बात है, मज़ा आ गया आपकी कविता पढ़ कर, सारे शेर लाजवाब हैं, गहरे अर्थ छिपे हैं इन में
आपको और आपके परिवार को होली की शुभ कामनाएं
अद्भुत रचना प्रकाश जी....लगता है ये इस पुरानी डायरी के सारे सफ़े उलट कर देखने पड़ेंगे प्रकाश जी....
क्या खूब प्रकाश भाई .....और इस शेर पे तो सब निछावर "आपकी नज़र में होगा तिनका वो/चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है"
बहुत मुबारक होली की भी....
बहुत सुंदर ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।
आज पहली बार पढ़ा आपको....बहुत अच्छा लगा...हर एक शेर उम्दा है...होली मुबारक हो आपको...
वाह, मजा आ गया। बहुत दिनों के बाद ऎसी प्रेरणादायी कविता पढ़ी। अगर बुरा ना मानें तो क्या आप अपनी आवाज़ में यह कविताएं उपलब्ध करा सकते हैं?
वाह क्या मारक रचना है आपकी। देश दुनिया की सभी खबरों को इतनी सहजता के साथ चंद पंक्तियों में आपने कह दिया। सचमुच बेमिसाल है आपकी रचना।
प्रकाश जी.,
खारिज होने ना होने की बात ना करें,,,,,कितनी ही शानदार फिल्म देखि हैं,,,जो बुरी तरह से फ्लॉप होती हैं,,,,,मगर सिनेमा के इतिहास में एक बुलंदी पर आज भी हैं,,,
जानकार हैरानी भी हुई के जिस उम्र में बच्चे केवल मस्ती करते हैं,,,,आप उस उम्र में इतनी गहराई से सोच लेते थे,,,आपकी बुलंद सोच को सलाम,,,
सारे परिवार को होली की शुभकामनाये,,,,,,,,,,,,,,
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .
आपकी गज़ल की हर एक लाईन बेहतरीन है,
हजारों बार हर लाईन पर नजर घूमती है ।
होली की बधाई !!!
maaf kijiye bhaiya exam najdeek hone ke kaaran aapka blog nahi padh pa raha hun.......paper katm hote hi mai phir aapke gazal ke dwara aapse jud jaungaa
प्रसंशनीय रचना है।
antim 4 lines to vakai lajawab hai.
har kisi ka zindagi ko dekhne ka alag nazariya hota hai.. ye kavita is baat ko behtrin tarike se pradarshit karti hai..
holi ki hardik badhai..
V.Niceeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee bro
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
सुन्दर रचना है....
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
बेहद सुन्दर रचना...
जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
वाह जी वाह...क्या बात कही है....और ये.....
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
बहोत खूब......!!
पुस्तक कैसी लगी बताया नही आपने....?
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
-बहुत सुंदर.
जिस ज़िन्दगी का तुम्हें भरोसा है,
मौत हथेली पर लिए घूमती है।
waah वाह और वाह...
आपकी नज़र में होगा तिनका वो,
चिड़िया चोंच में घर लिए घूमती है।
Waah ! Adwiteey....aanand aagaya padhkar...shaandaar gazal waah !
vaah bahut achchee
Kuldeep Nahar
vaah bahut achchee
Kuldeep Nahar
Zindgi ki hakikat ko lafzon me byan karna to koi apse seekhe.
Itni acchi ghazle first time pad rahi hun.
Zindgi ki hakikat ko lafzon me byan karna koi ap se seekhe.
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