बुधवार, 6 मई 2009

छोडो कल की बातें कल की बात पुरानी......


आप सबके स्नेह का आभार! पिछले दिनों मेरे साथ क्या हुआ आप सब जानते हैं। लेकिन बहुत से दोस्तों और मित्रों ने मेरे न लिखने के निर्णय को न मानने का आग्रह किया उनमें सर्वप्रथम मैं भाई श्री अनूप शुक्ल जी का आभार व्यक्त करता हूँ जिनकी टिप्पणी को मैंने कई बार पढ़ा और कई बार नज़रअंदाज़ कर दिया। लेकिन अंततः भाई अनूप शुक्ल की अनुभवी सलाह को मानना और अपने लेखन को जारी रखने की सलाह मुझे जायज़ भी लगी और साथ उन सभी दोस्तों के स्नेह का भी बार-बार ख़्याल आया जो मेरे न लिखने से दिल से आहत हैं। जिनमें बहुत से नाम उल्लेखनीय हैं इसलिये सभी के नाम न लेता हुआ मैं सभी का आभार जताता हूँ और आपसे वादा करता हूँ कि मैं भविष्य में भी पूरे उल्लास से लिखता रहूँगा और मैं उन सभी लोगों को नज़रअंदाज़ करता रहूँगा जो मुझे क्षति पहुँचाने के इरादे से की गई हों। मुझे पता है कि मेरी रचनाएँ आप सभी मित्रों को अच्छी लगती हैं इसलिए मुझे आपका आदर करते हुए लिखना है और लिखते रहना है। मैं अपने न लिखने के निर्णय को वापस लेते हुए सभी दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि आपका स्नेह हमेशा मुझ पर इसी प्रकार बना रहे जिस प्रकार इस बार आपने मेरा साथ दिया है।


17 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

AAP AAYE BAHAAR AAYEE...

AAPKA
ARSH

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रकाश जी
अभी अभी आपका ब्लॉग सबसे ऊपर मेरे ब्लॉग की लिस्ट में नज़र आया...............
दिल उच्छल पढा ............क्या बताऊँ दिल से ख़ुशी हो रही है ...........
बस अब मजेदार सी पोस्ट का इंतज़ार है

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

aapke punaraagman par swagat hai. asha hai aap pahle se bhi adhik joshokharosh ke saath nai nai rachnayen prastut karenge.

Neeraj Rohilla ने कहा…

हमें तो पता भी नहीं था इस घटना को,
ऐसी बातों की क्या परवाह करना, लोग भी अच्छी सीरत और मन के भावों को पहचानते हैं। आप मन भर कर लिखिये, हम आयेंगे न पढने के लिये।

चलिये, बीति ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले।

Udan Tashtari ने कहा…

ये हुई न अपनों वाली बात..आईये, इन्तजार लगा था. अब शुरु हो जायें नियमित.

अनूप शुक्ल ने कहा…

अच्छा निर्णय लिया। बहुत-बहुत बधाई। अब नये सिरे ताजगी के साथ लिखना शुरू करें। शुभकामनायें।

संगीता पुरी ने कहा…

पुनर्वापसी का स्‍वागत है ..

naresh singh ने कहा…

हाथी का चलना और कुत्तो का भोंकना पुरानी बात इससे हाथी का वजन कम होते नही देखा है आपका दुबारा लिखने का विचार बहुत खुशी दे रहा है । दिल एक गीत गुनगुना रहा है । हम तुम होंगे,बादल होगा ,रक्श मय सारा जंगल होगा.... गाना किस ने लिखा है पता नही । बचपन मे पाकिस्तान रेडियो पर सुना था ।

रंजू भाटिया ने कहा…

वापसी का स्वागत है जी ..बहुत अच्छा निर्णय लिया आपने

manu ने कहा…

आइये बादल जी,
पहले हम जूनियर थे,,,क्यूंकि इस ब्लॉग जगत में काफी बाद में आये थे आपसे ,,,
अब आप नए सिरे से आ रहे हैं,,,सो अब हम सेनियर है और आप जूनियर ,,,,
हा,,,हा,,,,हा,,,,,,,,,,हा,,,,,,,,,,,,,,

स्वागत है आपका,,,,,
अब कुछ लिख डालिए गजल वजल ताकि पता लगे के आप में अब भी वही दम है या वक़्त के दीमक ने आपकी बाजुओं को चाट दिया है,,,हा,,हा,,,हा,,,,,,,
ऐसे ही कुछ था शोले का डायलोग,,,,,,,

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आपके इस समझदारी पूर्ण निर्णय का स्वागत है...अब यूँ छोटी छोटी बातों पर रूठ कर मत जाना...
नीरज

Aadarsh Rathore ने कहा…

जैसे ही ब्लॉग लिस्ट पर आपके ब्लॉग पर अपडेट नज़र आया, खुश हो गया। मुझे पता था कि आप आएंगे।
शुभकामनाएं

Arvind Gaurav ने कहा…

dhanyawaad,
aapka ye faislaa bilkul sahi hai...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

प्रकाश जी ,

मन में एक बहोत बड़ा बोझ था ...बता नहीं सकती आज कितना हल्का महसूस कर रही हूँ....बहुत बहुत शुक्रिया हम सब का अनुरोध मानने के लिए ......आपके बिना तो सब सुना- सुना सा लग रहा था......जल्दी से नयी ग़ज़ल पढ़वाइये अब ......!!

Puneet Sahalot ने कहा…

welcome back..... :))

गौतम राजऋषि ने कहा…

अरे..प्रकाश जी, कह नहीं सकता मैं कितना खुश हुआ हूँ...
शुभ-स्वागतम

मजा आ गया!!

दर्पण साह ने कहा…

wo aaye doobara blogging main pata nahi kiski inayat hai?

kabhi hum unko kabhi unki post ko dekhte hain.

sawagatam
-Darpan Sah

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